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निगाहों की शाम आ..

निगाहों की शाम आ ही गई जुदाई की रात आ ही गई दर्द की बज रही है शहनाइयां यादों की बारात आ ही गई जलती है शम्मा हौले-हौले मीठी सी आग आ ही गई सन्नाटे में तो कुछ आता नहीं करवटों की आवाज आ ही गई..